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    Home » मीडिया वॉच भाग 1
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    मीडिया वॉच भाग 1

    Devanand SinghBy Devanand SinghJuly 14, 2019No Comments2 Mins Read
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    *मीडिया वॉच भाग 1*
    *लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की कलम पर कुठाराघात को आगे करके पत्रकारों की भावना से कब तक हम खेलते रहेंगे?*
    *देवानंद सिंह*
    पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से चौथे स्तंभ पर कुठाराघात की बात को महिमामंडित किया जा रहा है वह सोचनीय और चिंताजनक है कुछ दिनों से झारखंड में यह प्रचलन हो चला है कभी एसपी कभी डीएसपी कभी थानेदार इसके शिकार भी हो रहे हैं एक बार फिर एक नया मामला झारखंड में उभर कर सामने आया है झारखंड में एक थानेदार पर फिर से चौथे स्तंभ पर कुठाराघात का आरोप कुछ पत्रकार साथियों ने लगाया है मामला गंभीर है अखबार के संपादकों को इस पर विचार भी करनी चाहिए परंतु इसके साथ साथ एक स्वाभाविक सवाल यह भी उठता है कि इसके पीछे मकसद क्या है क्या उस जिले में इसके अलावा और कोई मुद्दा नहीं है जो जन भागीदारी से जुड़ा है या इस मुद्दे को जानबूझकर किसी खास उद्देश्य मुद्दा बनाया जा रहा है?
    वर्तमान में जिस मुद्दे को लेकर धरना प्रदर्शन की बात चल रही है ऐसे में एक सवाल भी मौजूं हो उठता है कि ऐसी मुद्दों के माध्यम से उस जिले में कोयले की कालाबाजारी फलाने की कोशिश की जा रही है इस आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता है क्योंकि पत्रकारों की बातें जनमानस को प्रभावित करने की अकूत शक्ति रखती है संविधान के किस नियम कानून में यह लिखा है कि पत्रकारों की जांच नहीं होगी इस पर भी हमें विचार करना चाहिए पत्रकार और पुलिस एक सिक्के के दो पहलू हैं आपसी सामंजस बैठा कर हम एक दूसरे की भावना को कद्र करते हुए नए कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं
    अगर पुलिस पदाधिकारी जनता की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरते हैं तो हमें साक्ष्य के साथ उसे लिखने का पूरा पूरा अधिकार है लेकिन पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर किसी समाचार का प्रकाशन या किसी पुलिस पदाधिकारी या प्रशासनिक पदाधिकारी का चरित्र हनन करना पत्रकारिता के अधिक एथिक्स में नहीं है
    हालांकि भ्रष्ट पदाधिकारियों के खिलाफ मुहिम जारी रखना पत्रकारिता का कर्तव्य है किंतु व्यक्तिगत चरित्र हनन………
    *क्रमशः*————-

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