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    Home » दिल्ली: त्रिकोणीय मुकाबले में फायदे में रहेगी बीजेपी
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    दिल्ली: त्रिकोणीय मुकाबले में फायदे में रहेगी बीजेपी

    Devanand SinghBy Devanand SinghMay 11, 2019No Comments5 Mins Read
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    दिल्ली: त्रिकोणीय मुकाबले में फायदे में रहेगी बीजेपी

    बिशन पापोला

    लोकसभा चुनाव 2०19 के पांच चरणों का चुनाव संपन्न हो चुका है। इस बीच कल यानि 12 मई को राजधानी दिल्ली में होने वाले मतदान पर सभी की नजर है, क्योंकि दिल्ली में एक ऐसी पार्टी भी है, जो बीजेपी पर सबसे अधिक हमलावर रहती है। वह है आम आदमी पार्टी। कभी कांग्रेस व अन्य पार्टियों के साथ गठबंधन की बात से साफ इनकार करने वाले आम आदमी पार्टी के मुखिया व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जिस तरह कांग्रेस के साथ गठबंधन के लिए दाने डाले, वह किसी से छुपा नहीं है। वहीं, महागठबंधन को लेकर भी उनके बीच की उत्सुकता हर वक्त जगजाहिर होती रही है। कभी वह ममता दीदी के शरण में दिखे तो कभी चंद्रबाबू नायडू की शरण में। वह महागठंधन पार्टियों के मंच पर दिखते रहे हैं, लेकिन अंतत: दिल्ली में जिस तरह आम आदमी पार्टी को अकेला चुनाव लड़ना पड़ रहा है, अब अपने ही गढ़ दिल्ली में उसके लिए साख बचाने की डगर कठिन होते जा रही है, क्योंकि दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला है। यह त्रिकोणीय मुकाबला मुख्य रूप से बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच है। चुनावी समीकरणों के लिहाज से देखा जाए तो कांग्रेस और आम आदमी का वोट बैंक एक ही है।
    ऐसे में, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का अलग-अलग चुनाव लड़ने का मतलब है कि यह वोट बैंक दोनों पार्टियों के बीच बंट जाएगा, ऐसे में सीध्ो तौर पर बीजेपी को फायदा होगा। इसका सीधा-सा अनुमान चुनाव विश्लेषक भी लगा रहे हैं। कांग्रेस के साथ गठबंधन न होना पाना आम आदमी पार्टी के लिए सबसे बड़ा नुकसान है, लेकिन केजरीवाल ने दिल्ली में गठबंधन के लिए अपनी जो महत्वाकांक्षा दिखाई उससे अब उसके लिए अपने गढ़ में ही साख बचना मुश्किल दिखाई दे रहा है। पिछले करीब दो माह से कांग्रेस और आम आदमी पार्टी चुनावी गठबंधन को लेकर बात कर रहे थ्ो, इस मुद्दे को लेकर पार्टी के अंदर ही उठ रहे सवालों के बीच केजरीवाल यह बात कह रहे थ्ो कि बीजेपी से निपटने के लिए दिल्ली की 7, पंजाब की 13, हरियाणा की 1०, गोवा की 2 और चड़ीगढ़ की एक सीट पर गठबंधन जरूरी है, लेकिन कांग्रेस महज दिल्ली में ही आम आदमी पार्टी से गठबंधन करना चाहती थी। इन परिस्थितियों के बीच भी माना जा रहा था कि दिल्ली, चड़ीगढ़ व हरियाणा की 18 सीटों पर गठबंधन की बात बन सकती है, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। लिहाजा, दिल्ली को स्वयं का गढ़ मानने वाली आम आदमी पार्टी को दिल्ली भी कांग्रेस से अलग ही चुनाव लड़ना पड़ रहा है। लिहाजा, दिल्ली के चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी की ही सबसे कड़ी परीक्षा होने वाली है। दिल्ली की जैसी स्थिति पंजाब, हरियाणा और चड़ीगढ़ में भी है।
    दिल्ली के वोटर्स की बात करें तो 2०14 के मुकाबले इस बार 9.89 मतदाता बढ़े हैं। 2०14 में वोटर्स की संख्या 1,27,०6,336 थी, जबकि इस बार मतदाताओं की संख्या 1,36,95,291 है। इसमें महिला वोटर्स की संख्या 61.38 लाख है, हालांकि पिछले एक साल में वोटर्स की संख्या में 1.37 लाख की कमी आई है। इसमें महिलाएं 33 हजार और पुरुष 86 हजार घटे हैं। मतदाता सूची में थर्ड जेंडर के वोटर्स की संख्या 876 से घटकर 81० रह गई है। दिल्ली में कांग्रेस-आप का गठबंधन होता तो निश्चित ही बीजेपी के लिए चुनौती होती। ऐसा नहीं हो पाने से बीजेपी को बड़ा फायदा पहुंचेगा और उसके जीत के चांस बढ़ जाएंगे। त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति को देख्ों तो आप और कांग्रेस की स्थिति खराब रहेगी, क्योंकि दोनों पार्टियों का वोट बैंक एक ही है। दोनों पार्टियां मुस्लिम, अनाधिकृत कॉलोनियों एवं झुग्गियों में रहने वाले गरीबों और मिडिल क्लास के एक छोटे वर्ग के बीच अपनी पकड़ रखती हैं। अलग-अलग चुनाव लड़ने से यह होगा कि यह कोर वोट बेस दोनों पार्टियों के बीच बंट जाएगा, जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा।
    यहां बता दें कि इसी वोट समीकरण की वजह से 2०15 में आप ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 54 फीसदी मतों के साथ 67 सीटों पर कब्जा जमाया था, जबकि बीजेपी को 32 फीसदी और कांग्रेस को महज 1० फीसदी वोट मिले थ्ो। 2०14 लोकसभा चुनाव के दौरान जहां बीजेपी को 46.6 फीसदी वोट मिले थ्ो, वहीं आप को 33.1 और कांग्रेस को 15.2 फीसदी वोट हासिल हुए थ्ो। अब यहां कांग्रेस और आप के बीच वोटों के विभाजन की स्थिति बन रही है। इन दोनों पार्टियों के कोर वोट बैंक के विभाजन की स्थिति में बीजेपी को फायदा पहुंचेगा। भले ही, इस बार 2०14 की तरह मोदी लहर न हो, लेकिन फिर भी राजधानी दिल्ली में कांग्रेस और आप के मुकाबले वोटर्स बीजेपी को गंभीरता से ले रहे हैं। पुलवामा हमले के बाद जिस तरह इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक की और उसके बाद पायलट अभिनंदन की तत्काल वापसी हुई, उससे लोगों के मन में बीजेपी के प्रति और चांस देने की भावना बढ़ी है।

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