नई दिल्ली। चावल फोर्टिफिकेशन कार्यक्रम के तहत सरकार मार्च 2023 तक 291 आकांक्षी और भारी मांग वाले जिलों को कवर करने की योजना बना रही है। यह जानकारी नई दिल्ली में खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पाण्डेय ने दी।
उन्होंने बताया कि ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से अप्रैल 2022 में शुरू हुए फोर्टिफाइड चावल के वितरण’ के दूसरे चरण के तहत उत्पादन संबंधी सभी चुनौतियों को पार करते हुए 90 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल का उत्पादन पहले ही किया जा चुका है। इस कार्यक्रम के दूसरे चरण में मार्च, 2023 तक सभी आकांक्षी और भारी मांग वाले कुल 291 जिलों को कवर किया जाएगा। इसमें चरण- I प्लस टीपीडीएस (लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली) और ओडब्ल्यूएस (अन्य कल्याणकारी योजनाएं) भी शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि चरण- I के तहत मार्च, 2022 तक पूरे भारत में आईसीडीएस (एकीकृत बाल विकास सेवाएं) व प्रधानमंत्री पोषण को कवर किया गया और लगभग 17 लाख मीट्रिक टन फोर्टिफाइड चावल वितरित किए गए। हालांकि, पीडीएस के तहत 90 से अधिक जिलों (16 राज्यों में) ने फार्टिफाइड चावल का उठान शुरू कर दिया है और अब तक लगभग 2.58 लाख मीट्रिक टन का वितरण किया जा चुका है। श्री पाण्डेय के कि इस कार्यक्रम के परिणामों और प्रभाव का आकलन करने के लिए नीति आयोग के तहत विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (डीएमईओ) द्वारा चावल फोर्टिफिकेशन का स्वतंत्र समवर्ती मूल्यांकन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्यों में संचालन समिति कार्यक्रम के कार्यान्वयन की निगरानी करेगी।
इसके त्वरित कार्यान्वयन के प्रयासों के तहत खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग राज्य सरकार, केंद्रशासित प्रदेश, संबंधित मंत्रालयों, विभागों, विकास भागीदारों, उद्योग, अनुसंधान संस्थानों आदि जैसे सभी प्रासंगिक हितधारकों के साथ इकोसिस्टम से संबंधित सभी गतिविधियों का समन्वय कर रहा है। एफसीआई और राज्य एजेंसियां फोर्टीफाइड चावल की खरीदारी कर रही हैं। इसके तहत अब तक आपूर्ति व वितरण के लिए लगभग 126.25 लाख मीट्रिक टन फोर्टीफाइड चावल की खरीद की जा चुकी है। फोर्टिफाइड चावल की पूरी लागत (लगभग 2700 करोड़ रुपये प्रति वर्ष) खाद्य सब्सिडी के तहत केवल भारत सरकार की ओर से जून, 2024 तक यानि इसके पूर्ण कार्यान्वयन तक वहन की जाएगी।
विभाग के संयुक्त सचिव एस जगन्नाथन ने ‘चावल फोर्टिफिकेशन और पीडीएस, आईसीडीएस, प्रधानमंत्री पोषण आदि के तहत इसके वितरण’ पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने फोर्टिफाइड चावल के वितरण की प्रक्रिया को रेखांकित किया और बताया कि योजना को लेकर पहले चरण ने जिलों के लिए एक इकोसिस्टम स्थापित करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य किया है। इसके अलावा इसके तीसरे चरण में मार्च 2024 तक दूसरे चरण के तहत आने वाले इन जिलों के साथ बाकी जिलों को भी कवर किया जाएगा।
नई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र (सीसीएम) के सहायक प्रोफेसर डॉ. कपिल यादव ने ‘सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए पूरक रणनीति के रूप में स्टेपल फूड फोर्टिफिकेशन’ पर एक प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि फूड फोर्टिफिकेशन कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए एक लागत प्रभावी पूरक रणनीति है। डॉ. यादव ने रेखांकित किया कि केवल 0.01 फीसदी जनसंख्या, विशेष रूप से थैलेसीमिया मेजर से पीड़ित लोगों को फोर्टिफाइड चावल के सेवन से स्वास्थ्य जोखिम का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा कि फोर्टिफाइड चावल क्रेटिनिज्म, गोइटर, आईआईएच (थायरोटॉक्सिकोसिस), मस्तिष्क क्षति को रोकने, भ्रूण व नवजात स्वास्थ्य और जनसंख्या की उत्पादन क्षमता के सुधार में सहायता करता है। इन बातों को देखते हुए चावल-फोर्टिफिकेशन योजना के लाभ इसमें शामिल जोखिमों से कहीं अधिक हैं।
वैश्विक स्तर पर 200 करोड़ से अधिक लोगों में कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है, 160 करोड़ लोगों को एनीमिया (खून की कमी) है, 50 फीसदी से अधिक लोगों में आयरन की कमी है, हर साल 2,60,100 गर्भधारण न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (एनटीडी) से प्रभावित होना और कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी, ये सब मृत्यु, रुग्णता और निम्न मानव विकास के महत्वपूर्ण कारण हैं।