ऋषभ कुमार की रिपोर्ट
नवादा ,बिहार :बच्चे आने वाले कल के भविष्य हैं. इन पर देश का भविष्य टिका है. ऐसे में जरूरी है कि बच्चों को अच्छी शिक्षा और बेहतर सीख दी जाए. इसकी जिम्मदेरी शिक्षक पर होती है, जो बच्चों को शिक्षा के आसमान में उड़ने का पंख देते हैं. लेकिन जब स्कूल में शिक्षक ही ना हो, तो देश और बच्चों का भविष्य का क्या होगा.रजौली प्रखंड के फरकाबुजुर्ग पंचायत धमुचक गांव में उत्क्रमित मध्य विद्यालय सह उत्क्रमित उच्च माध्यमिक(+2) विद्यालय का भी हाल कुछ ऐसा ही है।शिक्षा को लेकर सरकार लाखों करोड़ों रुपये खर्च करने का दावा करती है. पर, इन दावों की सच्चाई कुछ और कहानी बयां करती है.बिहार में शिक्षा व्यवस्था का हाल भी ऐसा ही है जहां सरकार बच्चों को बेहतर शिक्षा मुहैया करने की बात करती है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दो शिक्षिका के भरोसे पूरा विद्यालय एवं कक्षाएं चल रही है.रजौली प्रखंड के धमुचक गांव स्थित सरकारी विद्यालय शिक्षा की बदहाली का प्रत्यक्ष उदाहरण है. ऐसे में कैसे पढ़ेंगे छात्र और कैसे आगे बढ़ेगा बिहार।
दो शिक्षकों के भरोसे सभी कक्षाएं:
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सह उत्क्रमित उच्च माध्यमिक(+2) विद्यालय धुमचक में महज 2 शिक्षिका के भरोसे सभी कक्षाएं चल रही हैं. यहां करीब 223छात्र-छात्राएं का नामांकन हैं।लेकिन एक कक्षा से लेकर आठवीं कक्षाओं का नामांकन टोटल 95 है जिसमें ग्रामीणों द्वारा सूचना मिल रही थी कि इस विद्यालय में नामांकन है लेकिन शिक्षक का अभाव के कारण इस विद्यालय में पढ़ाई नहीं होती है और हम लोग प्राइवेट स्कूल मेंअपने बच्चों को भेजने को मजबूर हैं।
जब मीडिया टीम विद्यालय पहुंची तो
वहां पर देखा कि विद्यालय में सिर्फ 12 बच्चे उपस्थित पाए गए और जहां तक पहली कक्षा से लेकर आठवीं कक्षा बहुवर्गीय कक्षा चलाया जा रहा है वही केके पाठक के द्वारा प्रत्येक स्कूल में 75 परसेंट छात्राओं का होना अनिवार्य है लेकिन सिर्फ 12 बच्चा ही दिखाई। दिया। इससे केके पाठक का निर्देश भी फेल होता नजर आ रहा ।
बिना ब्लैक बोर्ड और बिना बेच टेबल के सहारे होती है पढ़ाई
जिस क्लास रूम में पढ़ाई हो रही थी उस क्लास रूम में ब्लैक बोर्ड भी नहीं
था।और उपस्थिति छात्र-छात्राओं के लिए पर्याप्त बेंच टेबल नहीं था।
कोई टेबल के ऊपर कोई टेबल के सहारे खड़ा था। एक एक बेंच में चार-पांच छात्राओं बैठे थे।और कोई बेंच टेबुल पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे। वहां के छात्र- छात्राओं से जब बात की गई तो राजा बाबू, सौरभ कुमार शिवम कुमार, राजनंदिनी अंशु कुमारी कीर्ति कुमारी उत्तम कुमार ममता कुमारी चांदनी कुमारी ने बताया कि यहां के शिक्षिका बोलती हैं कि
मैं पांचवी क्लास तक की मैं शिक्षिका हूं। मैं पांचवी क्लास तक पढ़ सकता हूं। और वहां के प्रभारी प्रधानाध्यापक कुमारी अनिता सिन्हा ने बतलाया कि मैं स्कूल का काम करूं या बच्चों को पढ़ाए। वही उपस्थित छात्र छात्राओं ने बतलाया कि स्कूल में पढ़ाई के नाम पर सिर्फ कोरम पूरा किया जाता है। और हम बहुत गरीब परिवार से आते हैं और हमारे पिताजी मजदूरी करते हैं और मेरा भविष्य बर्बाद हो रहा है और मुझे आगे जाकर बिहार पुलिस और अच्छा सरकारी नौकरी लेना है।
नतीजन शिक्षक तो परेशान है
छात्र छात्राओं को भी पठन-पाठन में कई तरह के परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इसको देखा लेकर स्थानीय लोगों में भी गुस्सा पनप रहा है. स्थानीय ग्रामीण विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति की मांग कर रहे हैं।
उत्क्रमित मध्य विद्यालय सह उत्क्रमित उच्च माध्यमिक(+2) विद्यालय धमूचक के सचिव मृदुल देवी ने कहा
कि शिक्षिका की चलती है विद्यालय में मनमानी, हमारे हस्ताक्षर के बिना होती है विद्यालय में सभी काम
एक ही क्लास में सभी कक्षा के छात्र छात्राएं :
स्थिति यह है कि हर एक कमरे में सभी कक्षाओं के बच्चे पढ़ रहे हैं. ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस तरह की पढ़ाई हो रही है. यहां पढ़ाई के नाम पर औपचारिकताएं निभायी जा रही है. छात्रों की माने तो एक ही रूम में सभी कक्षाएं के चलने पढ़ने में बहुत तरह की समस्या होती हैं. ना कुछ समझ में आता है और ना हमलोग अपनी पढ़ाई पूरी कर पाते हैं. सातवीं कक्षा की छात्रा राजनंदिनी ने बताया कि स्कूल में बहुत तरह की परेशानी हैं.”एक ही कमरे में सभी पढ़ाना पड़ता हैं. ऐसे में काफी परेशानी हो रही है.
पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ति:
दो शिक्षिका के भरोसे चल रहे इस विधालय में पढ़ाई के नाम पर खानापूर्ती की जा रही है. दो टीचर ना सिर्फ सभी विषयों की पढ़ाई करवाते हैं, बल्कि इन पर सभी कक्षाओं के बच्चों की पढ़ाई कराने का जिम्मा भी है. ऐसे में बच्चों को पढ़ाई बाधित हो रहा है. छात्रों का कहना है कि टीचर जो पढ़ाते है, वह ठीक से समझ में नहीं आता. स्कूल के दोनों शिक्षिका भी काफी परेशान हैं.
स्कूल में शिक्षा व्यवस्था बदहाल
स्कूल में मरमाती का नाम पर सरकार द्वारा प्रत्येक साल पैसा भी फंडिंग किया जाता है लेकिन स्कूल का हाल है जर्जरा स्कूल में ऐसा देखकर प्रतीत होता है कि साफ सफ़ाई तक स्कूल में नहीं होता है।और जहां तक कई सारे खिड़की स्कूल का रंग रोपण भी नहीं हो पाती हैं।
क्या कहते हैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी
प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी
कुमुद नारायण ने बताया शिक्षक के कमी के कारण विद्यालय में सुचारू रूप से पढ़ाई नहीं हो पाती है जल्द ही शिक्षक को वहां प्रतिनियुक्ति किया जाएगा और विद्यालय में व्यवस्था की कमी के पर जांच की जाएगी ।