नई दिल्ली। सागरमाला कार्यक्रम की सफलता के आधार पर, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने “तटीय जिलों के समग्र विकास” के लिए सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत एक योजना तैयार की है। यह जानकारी केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने राष्ट्रीय सागरमाला शीर्ष समिति (एनएसएसी) की बैठक के बाद मीडिया को दी। मंत्री ने बताया कि हितधारकों के साथ कई परामर्शों के बाद, मंत्रालय ने अभिसरण मोड के अंतर्गत कुल 567 परियोजनाओं की पहचान की है, जिसकी अनुमानित लागत 58,700 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि सागरमाला बंदरगाह आधारित परियोजना है और आवागमन लागत में कमी और आयात-निर्यात प्रतिस्पर्धा पर ध्यान केंद्रित करती है। इसके अंतर्गत तटीय जिलों के समग्र विकास का उद्देश्य तटीय क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में मौजूद अंतराल को पाटना और आर्थिक अवसर में सुधार करना है। मंत्री ने कहा कि तटीय जिलों के समग्र विकास में पहचानी गई परियोजनाओं और सागरमाला परियोजना के अंतर्गत प्राप्त नई योजनाओं के प्रस्तावों के साथ, कुल परियोजनाओं की संख्या 1537 है और इन पर कुल 6.5 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी। श्री सोनोवाल ने कहा कि समिति ने सागरमाला कार्यक्रम की प्रगति की समीक्षा की और विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने कहा कि सागरमाला कार्यक्रम के अंतर्गत 5.5 लाख करोड़ रुपये लागत की 802 परियोजनाएं हैं, जिन्हें वर्ष 2035 तक कार्यान्वित करने का लक्ष्य रखा गया है। इनमें से 99,281 करोड़ रुपये लागत की 202 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक-निजी भागीदारी-पीपीपी मॉडल के अंतर्गत 45,000 करोड़ रुपये लागत से कुल 29 परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी जा चुकी हैं, जिससे सरकारी खजाने पर वित्तीय बोझ कम हुआ है। सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के अंतर्गत अतिरिक्त 32 परियोजनाएं 51,000 करोड़ रुपये की लागत से वर्तमान में कार्यान्वित की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, 2.12 लाख करोड़ रुपये की 200 से अधिक परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं और इनके 2 वर्ष में पूरा होने की आशा है। बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने की। इस बैठक में केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग, उपभोक्ता कार्य और खाद्य तथा सार्वजनिक वितरण और कपड़ा मंत्री, पीयूष गोयल, केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री, धर्मेंद्र प्रधान, केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री, ज्योतिरादित्य सिंधिया, केंद्रीय रेल, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री, श्री अश्विनी वैष्णव, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन और श्रम तथा रोजगार मंत्री, भूपेंद्र यादव, केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, संस्कृति, पर्यटन और विकास मंत्री, जी. किशन रेड्डी, गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और तटीय राज्यों के अन्य मंत्री शामिल हुए। मंत्रालय अब तक 140 परियोजनाओं के लिए 8748 करोड़ रुपये का अनुदान दे चुका है और विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा भेजे गए अतिरिक्त प्रस्तावों की समीक्षा कर रहा है। फ्लोटिंग जेट्टी यानी तैरते हुए घाट के विकास के लिए 200 से अधिक स्थानों की पहचान की गई है और 50 स्थानों को चरण 1 के कार्यान्वयन का हिस्सा बनाया गया है। यह भी जानकारी दी गई कि 33 मत्स्य बंदरगाह परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 22 मत्स्य बंदरगाह परियोजनाओं के लिए 2400 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं।
तटीय जिलों के समग्र विकास के लिए अभिसरण मोड के अंतर्गत की गई कुल 567 परियोजनाओं की पहचान, जिनकी अनुमानित लागत है 58,700 करोड़ रुपये.
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