चेरियाबरियारपुर,बेगूसराय
बारिश प्रारंभ होते ही बुढ़ी गंडक के तटबंध में जगह जगह दरारें और रेनकटस् बन गया है. जिससे तटबंध की स्थिति जगह जगह खराब हो गई है. हालांकि अभी नदी का जलस्तर काफी नीचे है. इसलिए कोई खास परेेेशानी की बात नहीं है. परंतु समय रहते तटबंध की मरम्मती नहीं हो पाई तो किसी अनहोनी की घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है. बताया जाता है हरेक साल सावन एवं भादो के महीने में बुढ़ी गंडक नदी में उफान आता है. तब लोगों की जान हलक में अटकी रहती है. जबकि ग्रामवासी रतजगा कर तटबंध की निगरानी में लगे रहते हैं. जानकारी के अनुसार गोपालपुर पंचायत के आकोपुर से लेकर बसही, बिक्रमपुर, चेरिया बरियारपुर एवं मेहदा शाहपुर पंचायत में बुढ़ी गंडक नदी के बाएं तटबंध पर सैकड़ों जगह रेनकटस् बन गए हैं. वहीं रेनकटस् के कारण तटबंध मे लंबी-लंबी दरारें बन गई है. जबकि कई जगह मिट्टी धंस जाने के कारण स्थिति खतरनाक दिख रही है. ऐसे मे संभावित बाढ़ के खतरे को देखते हुए लोगों मे खौफ व दहशत का माहौल कायम होना लाजिमी है. बताया जाता है नदी में पानी भर जाने के उपरांत कई संवेदनशील स्थलों पर तटबंध मे शिपेज की समस्या उत्पन्न हो सकती है. तथा समय से ऐसे चिन्हित स्थलों पर कार्य नहीं किया गया तो फिर संभावित बाढ़ के खतरों से इंकार नहीं किया जा सकता है.
2007 की विभिषिका को नहीं भुले हैं बसही ग्रामवासी
02 अगस्त 2007 में आई पानी के जलजले से मची तबाही का मंजर बसही गांव में क्षेत्र के लोग अब भी नहीं भुला पाए हैं. जब शाम ढलने के साथ रात के अंधेरे में बुढ़ी गंडक नदी ने ऐसी तबाही मचाई कि कितनों की सांसे थम गई. चारों ओर चीख व पुकार मच गया था. उन चीख व पुकार के बीच ना जाने कितने पालतू पशु गाय, बैल, भैंस एवं बकरियों के साथ लोगों की जाने तबाह हो गई थी. बताया जाता है उक्त विभिषिका की भेंट चढ़े 27 लोग पानी की तेज धारा में बह गये थे. जिसे कड़ी मेहनत के बाद 14 लोगों का शव बरामद हो पाया था. परंतु 13 ऐसे बसही के नागरिक हैं. जिनका शव भी बरामद नहीं किया जा सका. उस रात बुढ़ी गंडक नदी के द्वारा मचाई गई तबाही की कल्पना मात्र से शरीर में सिहरन पैदा हो जाता है. इस परस्थिति मे बारिश से तटबंध को हुए नुकसान पर ध्यान देना आवश्यक है. नहीं तो फिर तबाही व बर्बादी के मंजर को देखने से इंकार नहीं किया जा सकता है.
संवेदनशील स्थलों की निगरानी के साथ कार्य में तेजी की मांग
वहीं बारिश के कारण तटबंध में आई रेनकटस् और दरारों को देखते हुए समाज के लोगों एवं प्रबुद्धजनों ने बताया आकोपुर गांव स्थित एस एच-55 से सटे तटबंध मे हर साल शिपेज की समस्या उत्पन्न हो जाती है. जबकि तटबंधों की साफ-सफाई के अभाव में शाही (जानवर) के द्वारा जगह जगह बिल बना दिया जाता है. इस परस्थिति से निबटने के लिए तटबंधों की निगरानी के साथ संवेदनशील स्थलों पर कार्य में तेजी लाने की आवश्यकता है. गोपालपुर के मुखिया आलोक लंदन भारती, पूर्व मुखिया कांति देवी, वरिष्ठ राजद नेता रामप्रवेश महतो, मुखिया निरंजन कुमार निराला, पूर्व मुखिया निरंजन कुमार उर्फ टुनटुन, लोजपा नेता राजेश कुमार सहित अन्य लोगों ने बताया बाढ़ पूर्व तैयारी को लेकर डीएम के द्वारा तटबंध का निरीक्षण किया गया है. साथ ही अधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं. परंतु विभाग की धीमा चाल से नदी के आसपास बसे गांव के लोगों मे असंतोष दिख रहा है. साथ ही उक्त जनप्रतिनिधियों ने बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल रोसड़ा एवं जिला प्रशासन से अविलंब तटबंध मरम्मती कार्य मे तेजी लाने की मांग की है.
किया कहते हैं अंचलाधिकारी:- इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी योगेश दास ने बताया अभी बारिश प्रारंभ हुई है. परंतु तटबंध रख-रखाव का कार्य पूर्व से चल रहा है. बाढ़ का सीजन प्रारंभ होते ही जिला प्रशासन अलर्ट मोड में काम कर रही है. बारिश के कारण बने रेनकटस् की जानकारी मिली है. उसे तुरंत दुरूस्त किया जाएगा. बाढ़ की विभीषिका से क्षेत्र वासियों को जुझना नहीं पड़े, इसके लिए जिला प्रशासन कृत संकल्पित है.