नई दिल्ली। नीट-पीजी 2021 काउंसलिंग में देरी को लेकर सोमवार रात दिल्ली में बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टरों में रोष देखने को मिला। इसका नतीजा यह हुआ कि डॉक्टरों ने दिल्ली के सड़कों में भारी विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान सड़कों पर पुलिस और डॉक्टरों के बीच जमकर झड़प भी देखने को मिली। बताया जा रहा है कि दोनों पक्षों के कई लोग घायल हुए हैं। एक तरह रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना आंदोलन तेज करते हुए सांकेतिक रूप से ‘अपने लैब कोट लौटा दिए’ और सड़कों पर मार्च निकाला। डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहने की वजह से केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों – सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है।
बता दें कि काउंसलिंग में देरी की वजह से फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। एसोसिएशन का दावा है कि बड़ी संख्या में प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को विरोध स्वरूप प्रतीकात्मक तौर पर अपना एप्रन (लैब कोट) वापस कर दिया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों के मुताबिक उन्होंने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) परिसर से सुप्रीम कोर्ट तक मार्च करने की भी कोशिश की, लेकिन जैसे ही इसे हमने शुरू किया, सुरक्षाकर्मियों ने हमें आगे बढ़ने से रोक दिया।
पदाधिकारियों का यह भी आरोप है कि कई डॉक्टरों को पुलिस ने ‘हिरासत में’ लिया और उन्हें थाने ले जाया गया। कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। पुलिस ने लाठीचार्ज करने या अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप से इनकार किया और कहा कि 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्होंने कहा कि छह से आठ घंटे तक प्रदर्शनकारियों ने आईटीओ रोड को जाम कर दिया। उनसे बार-बार अनुरोध किया गया कि वे वहां से हट जाएं, लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया।
मध्य दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रोहित मीना ने कहा कि ‘बिना अनुमति के रेजिडेंट डॉक्टरों के एक समूह ने बीएसजेड मार्ग (आईटीओ से दिल्ली गेट तक का मुख्य रास्ता) को अवरूद्ध कर दिया और वहां छह घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जाम लगा रहा, जिससे लोगों को दिक्कत हुई।