रजौली (नवादा) प्रखंड मुख्यालय क्षेत्र में महंगाई चरम पर है।भवन निर्माण सामग्री पर भी महंगाई का असर दिखने लगा है।बालू, ईंट और गिट्टी का भाव आसमान छू रहा है।लोग पहले से ही महंगाई की मार झेल रहे हैं।पेट्रोलियम से लेकर खाद्य पदार्थों की खरीदारी में पसीना छूट जा रहा है।कई लोगों ने भवन निर्माण कार्य भी बंद करा दिया है।वजह है कि बीते दस दिनों में बालू के भाव में जो बढ़ोत्तरी हुई है,उससे खरीदारी करने की हिम्मत लोग नहीं जुटा पा रहे हैं।पहले से जो व्यवसायी बालू रखे हैं।वह अपनी मनमर्जी का भाव ग्राहकों से वसूल रहे हैं।30 दिनों के अंतराल में जो भाव की बढ़ोत्तरी हुई है।वह अप्रत्याशित है। दरअसल कि प्रति टाली बालू की कीमत में 15 सौ से 2 हजार रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है। इसी तरह से हर कंपनी के सीमेंट में लगभग 15 रुपए प्रति बोरी का बढ़ोतरी हुआ है। गिट्टी प्रति ट्रॉली 7 सौ से ढ़ाई हजार रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है।
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3500 रुपए प्रति ट्रॉली पहुंचा बालू का भाव
बारिश शुरू होने से पहले बालू का भाव काबू में था। जब से बारिश शुरू हुई है।बालू की कीमत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है।बालू व्यवसायियों की मानें तो नदी में पानी आने व खनन कार्य प्रभावित होने के चलते घाटों पर ही बालू महंगा मिल रहा है। दस से पंद्रह दिन पहले की बात करें तो बालू का भाव प्रति ट्रैक्टर की ट्रॉली 24 सौ से 26 सौ रुपए था। वहीं बालू का भाव आज के दिनों में 35 सौ रुपए टाली लोगों को मिल रहा है। व्यवसायियों की मानें तो बालू की कीमत में अभी राहत के आसार नहीं दिख रही है। भाव में और भी बढ़ोत्तरी होने की संभावना है।बालू के साथ ही गिट्टी के भाव में भारी उछाल आया है।यहां पर दो तरह की गिट्टी आती हैं।एक सफेद और दूसरी काली।काले रंग की गिट्टी की अधिक डिमांड है।इंजीनियरों की मानें तो काले रंग की गिट्टी का प्रयोग करने से मकान में मजबूती आती है।पहले काले रंग वाले गिट्टी का भाव बाजार में 75 सौ ट्रॉली था,जो बढ़कर 10 हजार हो गया है।प्रति ट्रॉली ढ़ाई हजार रुपए की बढ़ोतरी हुई है।इसी तरह से सफेद गिट्टी का भाव 53 सौ ट्रॉली था,जो बढ़कर 6 हजार हो गया है।इस प्रकार ईंट के भाव में भी खासा इजाफा हुआ है।ईंट भट्ठा व्यवसायी ने बताया कि बरसात के चलते ईंट काफी कम निकल रहा है।बरसात होने से पहले 15 सौ ईंट का भाव 13 हजार चल रहा था।इधर ईंट के भाव में एक से डेढ़ हजार की बढ़ोतरी हुई है। उसी डेढ़ हजार ईंट के लिए डेढ़ हजार अधिक रुपए ग्राहकों को देना पड़ रहा है।