नयी दिल्ली: केरल के अलावा, तीन अन्य राज्यों में भी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के कार्यकर्ताओं के खिलाफ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के आरोप में केस दर्ज किया गया है. राजस्थान पुलिस अधिकारियों ने गृह मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है. पीएफआई पर आरोप है कि उसने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन में पैसे देकर लोगों को बुलाया है.4 दिसंबर, 2019 को, गृह मंत्रालय ने राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को लेकर नवंबर 2016 से नवंबर 2019 तक पीएफआई कार्यकर्ताओं के खिलाफ दर्ज मामले और इनकी वर्तमान स्थिति के बारे के सभी राज्यों से जानकारी मांगी थी. गृह मंत्रालय के पत्र के अनुसार, “मंत्रालय ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं, विशेष तौर पर धारा 153 (ए) और 153 (बी) जो कि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों से जुड़ा है… के तहत पीएफआई के सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों का ब्योरा मांगा.इससे पहले संशोधित नागरिकता कानून का विरोध करने के आरोप में उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले चार दिनों में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उसके 108 सदस्यों को गिरफ्तार किया है. इससे पहले पीएफआई से संबध्द 25 और लोगों को गिरफ्तार किया गया था.उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि पिछले 4 दिनों में पीएफआई के 108 सदस्यों को हिंसा के दौरान उनकी भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है, इनमें लखनऊ में 14, बहराइच में 16, सीतापुर में 3, मेरठ में 21, गाजियाबाद में 9, मुजफ्फरनगर में 6, शामली में 7, बिजनौर में 4, वाराणसी में 20, कानपुर में 5, गोंडा, हापुड़ और जौनपुर में एक-एक पीएफआई सदस्य शामिल है. अपर मुख्य सचिव गृह अवस्थी ने दावा किया कि उप्र पहला ऐसा राज्य है जिसने पीएफआई के विरुद्ध इतनी तेजी से और सख्ती से कदम उठाए है.