फिर निकला मेनहर्ट घोटाला का जिन्न ,विधायक सरयू राय ने डोरण्डा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराया
राष्ट्र संवाद संवाददाता
विधायक सरयू राय ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि
मेनहर्ट घोटाला के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ए.सी.बी.) जाँच के उपरांत सरकार द्वारा कार्रवाई नहीं करने के संबंध में मेरे द्वारा झारखण्ड उच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका संख्या- W.P.(C.r.) No. 376/2022 को माननीय उच्च न्यायालय ने खारिज करते हुए याचिकाकर्ता श्री सरयू राय को निर्देश दिया कि वह किसी पुलिस थाना में प्राथमिकी दायर करे अथवा किसी सक्षम न्यायालय में मुकदमा दायर करे।
झारखण्ड उच्च न्यायालय के इस निर्णय के अनुपालन में में राँची के डोरण्डा थाना में इस संबंध में प्राथमिकी दर्ज कराया। प्राथमिकी में विस्तारपूर्वक तथ्यों को देते हुए श्री सरयू राय ने डोरण्डा थाना प्रभारी से आग्रह किया कि माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय के आदेशानुसार इसकी जाँच शीघ्र की जाए और मेनहर्ट घोटाला के दोषियों के विरूद्ध विधिसम्मत कार्रवाई की जाए। प्राथमिकी का मूल प्रारूप संलग्न है।
श्री राय ने थाना प्रभारी थाना प्रभारी को दिए आवेदन में कहा है कि माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा मुकदमा संख्या- W.P.(Cr.) No. 376/2022 में दिनांक 26.06.2024 को पारित आदेश के आलोक में राँची शहर के सिवरेज-डेªनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मेनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता, भ्रष्टाचार एवं षडयंत्र की जाँच के लिए प्राथमिकी दायर करें
विधायक सरयू राय ने माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय द्वारा पारित प्रासंगिक आदेश की प्रति संलग्न की है । यह आदेश स्वतः स्पष्ट है और इसमें याचिकाकर्ता को पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज करने का स्पष्ट निर्देश है। माननीय झारखण्ड उच्च न्यायालय के उपर्युक्त आदेश के अनुपालन हेतु भारतीय न्याय संहिता की प्रासंगिक धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दायर करने का तथ्यपूर्ण आवेदन आपके समक्ष उपस्थापित है। इस संबंध में निम्नांकित बिन्दुओं के आधार पर भारतीय न्याय संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के आलोक में दोषी व्यक्तियों के विरूद्ध विधिसम्मत कार्रवाई करने का अनुरोध है।
श्री राय ने आवेदन में जिक्र करते हुए कहा कि राँची शहर में सिवरेज-ड्रेनेज निर्मित करने के लिए परामर्शी चयन हेतु निविदा अनावश्यक रूप से विश्व बैंक की QBS (क्वालिटी बेस्ड सिस्टम) पर आमंत्रित की गई। ऐसा एक षडयंत्र के तहत हुआ। कारण कि सिवरेज-ड्रेनेज का निर्माण अत्यंत विशिष्ट श्रेणी की योजना नहीं है। इस सिस्टम में वित्तीय दर में कोई प्रतिस्पर्धा नहीं होती है। केवल उसी निविदादाता का वित्तीय लिफाफा खोला जाता है जो तकनीकी दृष्टि से सर्वोत्कृष्ट पाया जाता है।
विधायक सरयू राय ने आवेदन में जिक्र करते हुए लिखा है कि निविदा मूल्यांकन के दौरान पाया गया कि कोई भी निविदादाता, निविदा की शर्त के अनुसार योग्य नहीं है। मूल्यांकन समिति और नगर विकास विभाग के सचिव ने दिनांक 12.08.2005 को विभागीय मंत्री के समक्ष प्रस्ताव दिया कि निविदा को रद्द कर नई निविदा QCBS (क्वालिटी एण्ड कॉस्ट बेस्ड सिस्टम) पर निकाली जाय। विभागीय मंत्री ने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया और आदेश दिया कि दिनांक 17.08.2005 को पूर्वाह्न 10.00 बजे मेरे कार्यालय कक्ष में बैठक कर इसी निविदा के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाय। मंत्री का यह आदेश अनुचित, नियम विरूद्ध था और षडयंत्र के तहत दिया गया था।
श्री राय ने श्री राय ने आवेदन में मामले से जुड़े कई तथ्यों को उजागर किया है
उल्लेखनीय है कि मेनहर्ट ने निविदा के साथ जो अनुभव प्रमाण पत्र संलग्न किया था, वह गलत था। अनुभव प्रमाण पत्र ‘बिंटान रिसोर्ट’ के जिस लेटर पैड पर 2005 में दिया गया था, उसके बारे में बिंटान रिसोर्ट मैनेजमेंट का कहना है कि उन्होंने इस लेटर पैड का उपयोग वर्ष 2000 से बंद कर दिया है और जारी करने वाले के रूप में जिस व्यक्ति का नाम और हस्ताक्षर है, वह व्यक्ति कभी भी बिंटान रिसोर्ट मैनेजमेंट का अधिकारी नहीं रहा है। इससे स्पष्ट है कि जिस अनुभव प्रमाण पत्र का उपयोग मेनहर्ट की उपयोगिता निर्धारित करने में हुआ वह पत्र फर्जी है। चूंकि बिंटान रिसोर्ट विदेश में है और मेनहर्ट का मुख्यालय भी सिंगापुर में है, इसलिए इसकी जाँच करने में कार्यान्वयन समिति सक्षम नहीं थी। इसलिए समिति ने इसकी जाँच सक्षम संस्था से कराने के लिए कहा।
अवैध रूप से नियुक्त किये जाने के बाद कार्य करने के लिए झारखण्ड सरकार, राँची नगर निगम और मेनहर्ट के बीच जो समझौता हुआ, वह समझौता भी त्रुटिपूर्ण था, जिसके कारण मेनहर्ट पूरा भुगतान लेकर और काम अधूरा छोड़ कर निकल गया। अब वर्तमान राज्य सरकार को राँची के सिवरेज-डेªनेज निर्माण के लिए नये सिरे से परामर्शी बहाल करने हेतु नई निविदा निकालनी पड़ी है। ऐसा करना मेनहर्ट को षडयंत्र के तहत अनियमित रूप से बहाल करने वालों की बदनीयत और भ्रष्ट आचरण का प्रतिफल है। जाँच से यह भी पता चलेगा कि इसके कारण सरकारी खजाना पर कितना बोझ पड़ा है, राजकोष से कितना निष्फल व्यय हुआ है और परियोजना की लागत कितनी बढ़ी है।