प्रसिद्ध गढ़ शिमला का मां काली मंदिर।
✍निजाम खान
आपकी अगर मनोकामना पूरी करनी है तो आ जायिये गढशिमूल काली मंदिर।यह मंदिर जामताड़ा जिला मुख्यालय से लगभग 65 किमी दूरी पर स्थित है।वही कुंडहित प्रखंड मुख्यालय से लगभग 12 किमी दूरी पर गढ़शिमूला हिंगलो नदी किनारे स्थित है।इस मंदिर पर रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोग पूजा अर्चना करने के लिये आते है।इस मंदिर की वास्तविकता काफी पूरानी है।जानकारी के अनुसार इस मंदिर को वर्ष 2013 में पर्यटन स्थल घोषीत किया गया है।बता दे मंगलवार और शनिवार को मंदिर परिसर में काफी भीड़ होती है।
क्या कहते है मंदिर कमीटी के सदस्य:
मंदिर कमीटि के सदस्य सह समाजसेवी साधीन चक्रवर्ती ने मंदिर की इतिहास पर प्रकाश डालते हुये कहा कि लगभग दो सौ वर्ष पूर्व यहां कापालीक समूदाय के लोग निवास करते थे।उन्हीं लोगों के द्वारा इस काली मंदिर को प्रतिष्ठीत किया गया था।उन्हीं लोगों के द्वारा पूजा-पाठ किया जाता था।बाद में पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिलांतर्गत राजनगर के वीर राजा ने क्षेत्र का भ्रमण किया।क्षेत्र भ्रमण के पश्चात् इस जगह को कब्जा कर लिया।जिसके बाद से वीर राजा राजनगर से आकर मंदिर में पूजा-पाठ करते थे।कहा कि वीर राजा ने सैन्य बल गठित किया।जिसमें लगभग 500 मल्ल समूदाय के लोग काम करते थे।कहा कि राजा का पुत्र संतान नही था।कन्या संतान हुई।जिसका नाम शेमोला रखा गया।कहा कि शेमोला को इस गढ़ अर्थात् क्षेत्र का प्रधान सेनापति बना दिया गया।कहा कि पूर्व में यहां न्यायालय था।तब यहां लोगों के लिए सजा होने पर सुली की व्यावस्था थी।कहा कि इस क्षेत्र में पहला डाकघर यही था।बता दे आज भी कुंडहित प्रखंड के खजुरी रास्ते से होते हुये राजनगर तालाब में राजा का घर है।पर घर टूट-फूट अवस्था में है।
मंदिर कमीटी के सदस्य सह समाजसेवी प्रदीप पैतंडी ने कहा कि इस मंदिर में झारखंड के अधिकाश जिला दुमका,देवघर,जामताड़ा,धनबाद,पाकुड़,पालामू और पश्चिम बंगाल के अधिकांश जिला वीरभूम,बर्धमान,आसनसोल,बाकूड़ा,पुरुलिया सहित विभिन्न जिला के लोग अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए गढ़शिमला कालीमंदिर आते है।कहा कि पूर्व कृषि मंत्री सत्यानंद झा उर्फ बाटूल के पहल पर नाला विधानसभा के तीन चर्चीत स्थल देवलीश्वर मंदिर,गढ़शिमला कालीमंदिर और कुंडहित सिंहवाहिनी मंदिर को पर्यटन स्थल घोषित किया गया था।जिसमें देवलीश्वर और सिंहवाहिनी में द्वितीय चरण का काम हो चूका है।गढ़शिमला काली मंदिर में एक चरण का ही काम हुआ है।जिसके अंतर्गत ग्रामिण विकास विशेष प्रमंडल जामताड़ा विभाग की ओर से 10 लाख 92 हजार 388 रूपये की लागत से शौचालय और पर्यटकों के आराम करने के लिए छातानुमा चबूतरा का निर्माण किया गया है।
मंदिर के शौचालय में लटका है ताला:
एक तरफ सरकार पूरे भारतवर्ष को स्वच्छ बनाने के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं में अरबों रूपये खर्च कर दिये।तो वही दूसरी तरफ कुछ स्थानों पर खानापूर्ती के लिये किया गया है।जिसका जीता जागता सबूत गढशिमला कालीमंदिर का शौचलय है।इस शौचालय पर ताला लटका हुआ है।ताला भी कमीटी के लोग शौक से नही लटकाया है।बता दे शौचालय में जल की व्यावस्था बेहद जरूरी होती है।पर मंदिर परिसर में बिजली व्यावस्था नही होने पर मोटर से पानी सप्लाई नही हो पा रहा है।जिससे इतनी बड़ी महत्वाकांक्षी योजना शोभा की वस्तू बन कर रह गयी है।इस संबंध में बीस सुत्री कुंडहित प्रखंड अध्यक्ष सह समाजसेवी प्रदीप पैतंडी ने कहा कि इसके लिए और छातानुमा चबूतरा में छाता की व्यावस्था करने के लिये पूर्व जामताड़ा उपायुक्त जटा शंकर चौधरी को ज्ञापन सौपा गया है।
अभी तक क्या है सुव्यावस्था:
मंदिर परिसर में पेयजल के लिये तीन चापाकल है।लोगों को आपातकालीन स्थिती आंधी व वारिष में ठहरने के लिए विधायक निधि से पूर्व कृषि मंत्री सह नाला विधानसभा के पूर्व विधायक व भाजपा के वरिष्ठ नेता सत्यानंद झा उर्फ बाटूल के निधी से 3 लाख 7 हजार 900 रूपये की लागत से सावि भवन निर्माण हुआ है।वही रविवार को 14 वां वित्त आयोग द्वारा सोलरयुक्त जलापूर्ती योजना का लेआऊट किया गया।
लुभावनी स्थल है कालीमंदिर:
गढ़शिमला काली मंदिर यू तो अपने परिचय के लिए किसी चीज का मुहताज नही है।पर कालीमंदिर के समीप हिंगलो नदी का होना और भी मनमोहक लगने लगता है।साथ ही काली मंदिर में काफी पूराना पेड़,नदी किनारे काफी पूराना पीपल का पेड़,पीपल के पेड़ पर तोता का अड्डा जमना इन सब चीजों से और भी मनमोहक लगता है।गौरतलब है कि एक बार गढ़शिमला कालीमंदिर जो भी सज्जन आते है उनको बार-बार आने की आदत बन जाती है।झारखंड ओब्जर्वर की अपील आप भी आयिये और मनमोहक स्थल का लुत्फ उठायिये।
ऐसे आते है मंदिर:
जामताड़ा जिला मुख्यालय से आमलाचातर पुल होते हुये नाला होते हुये घोलजोड़ से नाटूलताला या नही तो कुंडहित प्रखंड मुख्यालय होते हुये सालूका होते हुये अंबा से बायां ओर गढ़शिमला स्कूल से दायां होकर गढ़शिमला मंदिर आ सकते है।वही पश्चिम बंगाल के लोग बाबूजोड़ से चंद्रवाद होते हुये,लोकपुर से बागडेहरी होते हुये,राजनगर से खजुरी होते हुये बिक्रमपुर से 1 किमी आ सकते है।
क्या कहते है पूजारी:
मंदिर के पूजारी सपन उर्फ लोखाय चक्रवर्ती,ग्रामीण मुकुंद मुरारी चंद,बाबलू वाद्यकर,बाबुमुनी सिंह,निमाई मंडल ने कहा कि मंदिर तक सभी दिशा से पक्की सड़क का निर्माण होना चाहिए,शनिवार और मंगलवार को विभाग की ओर से सुरक्षा के लिये पुलिस बल की तैनाती होना चाहिए,दवाई व ईलाज के लिए एएनएम की व्यावस्था होना चाहिए।साथ ही पर्यटन स्थल में जो भी सरकार की ओर से सुविधा दी जाती है,शीघ्र ही दी जानी चाहिए।