सत्ता का व्यवहार वही है
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साज वही, श्रृंगार वही है
दुखियों का संसार वही है
युग बदला कहते हैं सारे
युग का भ्रष्टाचार वही है
बेचे श्रम को तन भी बिकते
बिकने को बाजार वही है
रोटी पहले फिर ये दुनिया
जीवन का आधार वही है
शासक बदले युगों युगों से
सत्ता का व्यवहार वही है
आमलोग जब हाथ मिलाते
शोषण का निस्तार वही है
सदा सुमन शोषित के संग में
आमजनों से प्यार वही है
–!!जागते रहो!! —
सादर
श्यामल सुमन