दुनियाभर के देश तेजी से बढ़ते वायु प्रदुषण को लेकर चिंतित है. कई देशों में वायु प्रदुषण का स्तर लगातार खतरनाक होता जा रहा है. वायु प्रदुषण का लगातार खराब होते स्तर से भारत भी परेशान है. भारत में वायु प्रदुषण की वजह से हर साल लाखों लोगों की मौतें हो रही है. अकेले दूषित हवा के कारण भारत में एक साल में करीब 12 लाख मौत की आगोश में चले गए थे. हाल ही में स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2019 की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण से मौत का आंकड़ा स्वास्थ्य संबंधी कारणों से होने वाली मौत को लेकर तीसरा सबसे खतरनाक कारण है. देश में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों और मलेरिया के कारण होती है.सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉरमेंट यानी CSE की ताजा रिपोर्ट की माने तो वायु प्रदूषण की वजह से होने वाली घातक बीमारियों की वजह से भारत में औसत आयु 2.6 साल कम हो गई है. दुनिया भर में आज जन्म लेने वाला शिशु वायु प्रदूषण नहीं होने की स्थिति की तुलना में औसतन 20 महीने पहले दुनिया छोड़ जाएगा, वहीं भारत में लोगों की मृत्यु अपेक्षा से 2.6 वर्ष पहले हो जाएगी. रिपोर्ट के मुताबिक घर से बाहर का वायु प्रदूषण आपकी उम्र डेढ़ साल तक कम कर देता है, जबकि घर के अंदर का वायु प्रदूषण आपकी उम्र एक साल दो महीने तक घटा देता है. सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायर्मेंट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण से हर साल पांच साल से कम उम्र के एक लाख बच्चों की मौत हो जाती है. नयी दिल्ली पूरी दुनिया में सबसे प्रदूषित राजधानी शहर है.आपको बता दे कि मार्च में एयर विजुअल और ग्रीनपीस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में दुनिया के 10 सबसे प्रदूषित शहरों में से 7 शहर भारत के हैं, जिसमें दिल्ली से सटे गुरुग्राम को सबसे प्रदूषित शहर के रूप में आंका गया. गुरुग्राम के अलावा 3 अन्य शहर और पाकिस्तान का फैसलाबाद शीर्ष 5 प्रदूषित शहरों में शामिल है. गुरुग्राम के बाद गाजियाबाद, फैसलाबाद (पाकिस्तान), फरीदाबाद, भिवानी, नोएडा, पटना, होटन (चीन), लखनऊ और लाहौर का नंबर आता है. इसी तरह शीर्ष 20 शहरों में 18 भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश से जुड़े हैं. अपनी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को इस लिस्ट में 11वां स्थान मिला है. एयर विजुअल और ग्रीनपीस की यह रिपोर्ट पीएम 2.5 पर आधारित है.