*वर्षा आया-वर्षा आया!*

निजाम खान

वर्षा आया-वर्षा आया!
किसान के चेहर पे मुस्कान आया!!

मेंढक आवाज़ देते है!
किसानों में वारीष की उम्मीद जगते है!!
रात में हुई झमाझम वारीष!
रात से किसानों में खेती करने की होने लगती है ख्वाहीश!!
सुबह निकलते है हल-बैल लेकर!
किसान बेचारे भोजन भी करते है खेत पर!!
क्या नही होती है अन्नदाता को थकान!
झमाझम वरसती है वर्षा,कड़ांग-कड़ांग गरजती है वज्र,फिर भी खेत पर काम करते है किसान!!
