महेशपुर /पाकुड़:जिला कृषि विभाग द्वारा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कर्मशाला का आयोजन जिले के दो प्रखंडों महेशपुर व पाकुड़िया प्रखंडों में किया गया। मौके पर उपस्थित किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की विस्तृत जानकारी दी गई। प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी हरि महतो द्वारा बताया गया कि हर साल प्राकृतिक आपदा के चलते भारत में किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है। बाढ़, आंधी, ओले और तेज बारिश से उनकी फसल खराब हो जाती है। उन्हें ऐसे संकट से राहत देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरू की है। इसे 13 जनवरी 2016 को शुरू किया गया था।
इसके तहत किसानों को खरीफ की फसल के लिये दो फीसदी प्रीमियम और रबी की फसल के लिये 1.5 फीसद प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है। पीएमएफबीवाई में प्राकृतिक आपदाओं के कारण खराब हुई फसल के मामले में बीमा प्रीमियम को बहुत कम रखा गया है. इससे पीएमएफबीवाई तक हर किसान की पहुंच बनाने में मदद मिली है। पीएमएफबीवाई योजना वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए भी बीमा सुरक्षा प्रदान करती है. इसमें हालांकि किसानों को पांच फीसद प्रीमियम का भुगतान करना पड़ता है।
किसान आगामी 31 जुलाई तक अपने क्षेत्रों के लैम्पस में आवेदन कर सकते हैं। उन्हें आवेदन प्रपत्र भरने की भी जानकारी दी गई। मौके पर पंचायत क्षेत्र के काफी संख्या में पुरूष व महि्लाएं शामिल हुई। उल्लेखनीय हो कि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कर्मशाला लिट्टीपाड़ा व पाकुड़ प्रखंड में 11 जुलाई को आयोजित किया जाएगा। पाकुड़ प्रखंड में कर्मशाला प्रखंड क्षेत्र स्थित संयुक्त कृषि भवन में आयोजित होगा। वहीं, लिट्टीपाड़ा प्रखंड़ में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पर कर्मशाला एटिक केंद्र में आयोजित होगा। मौके पर संबंधित प्रखंडों के लैम्पस कर्मी, एटीएम, किसान मित्र, जन सेवक आदि उपस्थित थे।
*क्या है पीएमएफबीवाई योजना का उद्देश्यः*
प्राकृतिक आपदा, कीड़े और रोग की वजह से सरकार द्वारा अधिसूचित फसल में से किसी नुकसान की स्थिति में किसानों को बीमा कवर और वित्तीय सहायता देना। किसानों की खेती में रुचि बनाये रखने के प्रयास एवं उन्हें स्थायी आमदनी उपलब्ध कराना। किसानों को कृषि में इन्नोवेशन एवं आधुनिक पद्धतियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना। कृषि क्षेत्र में ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
*पीएमएफबीवाई के लिए किन दस्तावेजों की है जरूरत?*
किसान की एक फोटो किसान का आइडी कार्ड (पैन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड) किसान का एड्रेस प्रूफ (ड्राइविंग लाइसेंस, वोटर आईडी कार्ड, पासपोर्ट, आधार कार्ड) अगर खेत आपका अपना है तो इसका खसरा नंबर / खाता नंबर का पेपर साथ में रखें। खेत में फसल की बुवाई हुई है, इसका सबूत पेश करना होगा। इसके सबूत के तौर पर किसान पटवारी, सरपंच, प्रधान जैसे लोगों से एक पत्र लिखवा ले सकते हैं। अगर खेत बटाई या किराए पर लेकर फसल की बुवाई की गयी है, तो खेत के मालिक के साथ करार की कॉपी की फोटोकॉपी जरूर ले जायें। इसमें खेत का खाता/ खसरा नंबर साफ तौर पर लिखा होना चाहिए। डीबीटी के माध्यम से क्षतिपूर्ति राशि सीधे बैंक खाते में जाएगी।