आनंद मार्ग प्रसारक संघ द्वारा आयोजित दो दिवसीय जिला स्तरीय सेमिनार के पहले दिन आनंदमार्ग जागृति गदरा मै अष्टाक्षरी सिद्ध महामंत्र बाबा नाम केवलम् अखंड किर्तन के बाद ध्यान ,साधना, स्वाध्याय इसके बाद सेमिनार का उदघाटन मुख्य केंद्रीय प्रशिक्षक आचार्य संपूर्णानंद अवधूत जी द्वारा आनंदमार्ग के संस्थापक श्री श्री आनंदमूर्ती जी
के प्रतिकृती पर माला देकर सेमिनार का उद्घघाटन किये। “नव्यमानवतवाद की दृष्टि में अहिंसा” इस विषय पर विस्त्रीत चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि, अहिंसा यम-नियम साधना का एक अंग है अहिंसा साधको को संयम की शिक्षा देता है। किसी दुसरे को मन वाणी शरीर के कष्ट न पहुँचाना ही अहिंसा है। हमारे जिस किसी भी विचार या कार्य के पीछे किसी को तकलीफ देने का भाव हो वह हिंसा हैं ।देह रक्षार्थ अन्न ग्रहण हिंसा नही है । अतः साक् सब्जी मिलने से पशुहत्या न करना, उचित एवम् विवेक पूर्ण है। आताताई के विरुद्ध परिस्थिती के दबाव में पड़कर बल प्रयोग करना हिंसा नहीं है , क्योकि आताताई वे है, जो बलपूर्वक जमीन जायदाद् हड़प लेता है दुसरे की पत्नी का अपहरण करता है शास्त्र लेकर हत्या करता है धन लूटना चाहता है घर मे आग लगाता है विष देकर मार डालना चाहता है ऐसे आताताइयो के विरुद्ध बल प्रयोग का परिणाम यदि हिंसापूर्ण है ।तो भी वह अहिंसा ही है । संपूर्ण जड़ और चेतन सजीव एवं निर्जीव पशु -पक्षी इट-पथर पेड़ पौधे गुल्म लता सबकी भलाई का चिंतन एवं उचित व्यवहार करना ही नव्यमानवतावाद है जो
स्वसंपूर्ण सर्वांगीण दर्शन है
जो मानवता का मूल आधार है। हैं । कल 4 अगस्त का विषय है 1.अध्यात्मिक साधना कुशाग्र बनने की साधना एवं 2.विकेंद्रित अर्थव्यवस्था