-ः प्रकाशनार्थ:-
खेतों का पानी खेतों में, गावँ का पानी गांव में और घर का पानी घर मे। इस सिद्धांत पर काम करें तो इस देश मे पानी की समस्या को जड़ से समाप्त किया जा सकता है। आज फिर जरूरत है कि देश विनोबा भावे और गाँधी के सिद्धांतों पर चल कर काम करे। इस देश मे पानी पर पहला अधिकार वहाँ के स्थानीय लोगों की होनी चाहिए पर हम देखते हैं कि हकीकत में प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार आद्योगिक संस्थाओ का होता है। सिर्फ जल के अधिकार से समस्या समाप्त नहीं होती क्योंकि अगर सरकार जल मुहैया नहीं कर पाती तो कोई भी अदालत जा सकता है। इससे अराजकता बढ़ सकती है। यह बात सरयू राय ने मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में राष्ट्रीय जल अधिवेशन में कही जहाँ मध्यप्रदेश सरकार ने जल के अधिकार के अधिनियम का प्रस्ताव पेश किया है। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ, लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री सुखदेव पासे, जल जल जोड़ो अभियान के राष्ट्रीय समन्वयक संजय सिंह, पूणे से आये अंतराष्ट्रीय जल अधिकार कानून के विशेषज्ञ डाॅ. अनुपम श्राफ, तेलंगना जल बोर्ड के अध्यक्ष प्रकाश राव, विश्व बैंक समूह के वरिष्ठ सलाहकार अनिल सिन्हा, उप्र सरकार के जल संरक्षण सलाहकार एवं सजल भारत अभियान के महेन्द्र मोदी सहित देश के 25 राज्यों से आये विशष्ट लोगो ने भाग लिया तथा कार्यक्रम को संबोधित किया।