नई दिल्ली: मोदी के प्रधान मंत्री बनने के बाद एक और खुशखबरी आ रही है. खबर है कि भारत इस साल ब्रिटेन को पछाड़ते हुए दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा. गर्व की बात यह है कि जिन लोगों ने हमें सैकड़ों साल गुलाम बनाकर रखा उन्हें पीछे छोड़ कर भारत तरक्की की राह आगे निकल रहा है. जिस समय अंग्रेजों से आजादी मिली थी उस वक्त भारत में सुई तक नहीं बनती थी. भारत ने अंग्रेजों को दिखा दिया है कि देर भले ही लगे, हिंदुस्तानी लगान वसूल करही दम लेते हैं. विश्व बाजार के पंडितो का कहना है कि अब वो दिन दूर नहीं जब पश्चिमी देशों के लोग भारत में आकर रोजगार ढूंढेगे.
कहना अतिश्योक्ति न होगा कि अपनी चमड़ी और दमड़ी पर घमण्ड करने वाले अब भारतीयों के आगे हाथ पसारते नजर आयेंगे. आईएचएस मार्किट की सोमवार को जारी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2025 तक जापान को पीछे छोड़कर एशिया प्रशांत क्षेत्र में दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा. लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की जीत पर जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के लिए आर्थिक परिदृश्य सकारात्मक नजर आता है.2019-23 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की औसत वृद्धि दर सात प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान है. रिपोर्ट कहती है कि 2019 में भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होगा और देश की जीडीपी का आकार 3,000 अरब डॉलर (2.10 लाख अरब रुपये) के पार निकल जाएगा. भारत इस तरह से ब्रिटेन को पीछे छोड़ देगा. इसी प्रकार 2025 तक भारत का जीडीपी का आकार जापान से अधिक हो जाएगा. ऐसे में भारत एशिया प्रशांत की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा.रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की रैंकिंग में भारत लगातार आगे बढ़ेगा. साथ ही, वैश्विक जीडीपी वृद्धि में भारत का योगदान भी बढ़ेगा. भारत एशिया प्रशांत की आर्थिक वृद्धि का एक प्रमुख इंजन होगा. एशियाई क्षेत्रीय व्यापार और निवेश के प्रवाह में भारत का प्रमुख योगदान होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का हिस्सा अभी 18 प्रतिशत है जबकि लक्ष्य 25 प्रतिशत का है. अगले दो दशक के दौरान भारतीय श्रमबल में हर साल औसत 75 लाख लोग जुड़ेंगे. आईएचएस ने कहा कि इससे मोदी सरकार पर मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर, दोनों पर रोजगार सृजन के लिए दबाव रहेगा.