बिहार के किशनगंज लोकसभा सीट पर इस चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने ‘सीमांचल को न्याय”का मुद्दा उठाकर कांग्रेस एवं जदयू जैसे प्रमुख दलों के लिये बड़ी चुनौती पेश की है. एमआईएमआईएम ने अख्तरुल ईमान को उम्मीदवार बनाया है जो पिछले चुनाव में जदयू प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े थे और तीसरे स्थान पर रहे थे. इस सीट की खास बात यह है कि अब तक हुए लोकसभा चुनाव में 1967 को छोड़कर मुस्लिम उम्मीदवारों ने ही यहां जीत दर्ज की है . 1967 में इस सीट से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के लखन लाल कपूर विजयी हुए थे . राजग की तरफ से जदयू ने इस बार सैयद महमूद अशरफ को उम्मीदवार बनाया है जो कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. मो. जावेद को चुनौती दे रहे हैं .
2014 के चुनाव में किशनगंज सीट से कांग्रेस उम्मीदवार असरार-उल-हक़ क़ासमी ने जीत दर्ज की थी. उन्होंने अपने करीबी प्रतिद्वंदी भाजपा के डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल को शिकस्त दी थी. इस क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में आधी से अधिक आबादी के गरीबी रेखा से नीचे होने, खराब साक्षरता दर, कम प्रति व्यक्ति आय, रोजगार की खराब स्थिति प्रमुख है. एआईएमआईएम के अख्तरुल ईमान ने कहा कि पिछले सात दशक में किशनगंज में चुनाव दिल्ली की तख्त के लिये होता था लेकिन इस बार चुनाव ‘सीमांचल के न्याय’ के लिये हो रहा है और उन्हें पूरा विश्वास है कि जनता उन्हें विजयी बनायेगी. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले 70 वर्षो में सीमांचल का विकास नहीं हो पाया है, यहां उद्योग नहीं है, बुनियादी सुविधाएं नहीं है, रोजगार नहीं है . लोग परेशान है . अब तक प्रमुख दलों ने यहां के लोगों को धोखा देने का काम किया है . इसलिये एआईएमआईएम लोगों की आवाज बनना चाहती है .