फिर शब्दों में धार नहीं है
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जहाँ दिलों में प्यार नहीं है
फिर शब्दों में धार नहीं है
बिना तजुर्बे की बातों के
अर्थो को आधार नहीं है
मंत्री, संत्री, वादे, नारे
पर दिखती सरकार नहीं है
लोकतंत्र में अपने ढंग से
जीने का अधिकार नहीं है
बाँचे खबरों में खुशियाँ पर
दुख का पारावार नहीं है
सत्ताधारी जो कुछ करते
बिल्कुल भ्रष्टाचार नहीं है
बातें कम पर यही हकीकत
शब्द सुमन बेकार नहीं है
सादर
श्यामल सुमन