: पूर्वोत्तर भारत में आतंक का पूरा नेटवर्क की कमान को मोहम्मद कलीमुद्दीन खुद ऑपरेट कर रहा था. यह खुलासा कलीमुद्दीन ने पुलिस और एटीएस झारखंड के समक्ष किया है. जमशेदपुर के आजादनगर के रहने वाले कलीमुद्दीन को पिछले दिनों ही टाटानगर रेलवे स्टेशन से पुलिस ने गिरफ्तार किया था. कलीमुद्दीन को पुलिस ने रिमांड पर लिया है. जमशेदपुर के अलावा झारखंड की एटीएस की टीम से लेकर ओड़िशा, बंगाल और बिहार के भी एटीएस के अधिकारियों ने बारी-बारी से उससे पूछताछ की है. अब तक यह खुलासा हुआ है कि कलीमुद्दीन ने जमशेदपुर में करीब 50 लड़कों को आतंक का ट्रेनिंग देने के लिए भेज चुके थे जबकि पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां जिले से भी सौ से ज्यादा लोगों को जोड़ा गया है. उनको भी ट्रेनिंग भेजे जा रहे थे. एक ट्रैवल एजेंट के माध्यम से वह लड़कों को ट्रेनिंग देने के लिए पहले सऊदी अरब भेजता था, जहां से उसको पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता था. धर्म के नाम पर उनको बरगलाया जाता था. बेरोजगार युवक ही उसके निशाने पर थे. एटीएस को सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह जानकारी मिली है कि मोहम्मद कलीमुद्दीन उर्फ कलीमुद्दीन मुजाहिरी ने झारखंड के आतंकियों के नेटवर्क को भी खंगालकर उसके नेटवर्क को सीधे आतंकियों के साथ गठजोड़ करा चुका था ताकि नक्सलियों द्वारा भारत में ही रहकर भारत के खिलाफ काम कराया जा सके और युवाओं को जोड़कर देश को ही नष्ट किया जा सके. इस खतरनाक खेल के लिए उसने नक्सलियों के सचिन दस्ता के साथ संपर्क भी किया था और उसके माध्यम से उसके बड़े आकाओं के भी संपर्क में था. वैसे उसने आतंक व नक्सल का खेल जमशेदपुर से ही शुरु किया था. बंगाल, ओड़िशा, बिहार के बेरोजगार युवाओं को वह मदरसा के माध्यम से जोड़ता था. दरअसल, मदरसा में मुसलिम धर्म की पढ़ाई होती है, जहां से धर्म के नाम पर युवाओं को बरगलाना आसान होता था. यहीं वजह है कि मदरसा को ही टारगेट करके मजबूत और मास्टरमाइंड लड़कों को अपने साथ वह जोड़ने की कोशिश करता था