गिने चुने ही राजनीतिक होते हैं सुषमा जैसे
जय प्रकाश राय
सुषमा स्वराज नहीं रहीं। एक ऐसी राजनेता जिन्होने हर किसी के दिल पर अपनी अमित छाप छोड़ी। जिन्होंने बताया कि राजनीति कैसे की जाती है। राजनीति को लेकर जिस किसी के मन में संशय होता है और सोचता है कि यह अच्छे लोगों के लिये नहीं है या यहां लोग अच्छे नही ंहै, उनकी धारणा का सुषमा स्वराज पूरी तरह खारिज कर देती हैं। केवल 25 साल की उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का गौरव हासिल करने वाली सुषमा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और राजनीति में ऐसा कद कायम किया जिसके आगे कभी आज नतमस्तक नजर आते हैं। एक विदेश मंत्री के रुप में तो मानों उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन के पूरे अनुभवों को उड़ेलकर रख दिया। दुनियां के किसी कोने में फंसे किसी भारतीय की आवाज उनतक पहुंची नहीं कि वे खड़ी हो जाती थीं, उसके लिये। न जाने कितने भारतीयों से इस तरह उन्होंने संकट से उबारा। 8 जून साल 2017 का उनका ट्वीट कि आप यदि मंगलयान पर हैं तो भारतीय दूतावास वहां भी आपकी मदद करेगा, सभी को छू गया था। वाकई उन्होंने ऐसी ही धारणा कायम भी की थी। उनके इस ट्वीट को 37 हजार से अधिक लाइक्स मिले और 14820 लोगों ने रीट्वीट किया। शायद यही कारण है कि उनको अबतक से सबसे कामयाब विदेश मंत्री के रुप में भी देखा जाता है। चाहे मामला डोकलाम का हो या फिर बालाकोट हमले केबाद कायम हालात, हर बार उन्होंने देश के काम को काफी आसान बना दिया। सुषमा का मानवीय चेहरा ने उन्हें एक अलग दर्जा प्रदानकिया। जब भारत और पाकिस्तान के बीच इतनी तनातनी रही तो वैसे में भी उन्होंने पाकिस्तानी लोगों को भारत में इलाज के लिये वीजा दिलवाया। खासकर लड़कियों के लिये वे हमेशा खड़ी रहीं।उनका कहना था कि बेटी तो हर की होती है। यही कारण है कि सुषमा स्वराज से उपकृत होने वाली एक पाकिस्तानी युवती ने ट्वीट किया है कि उसके धर्म मेंतो पुनर्जन्म नहीं होता. लेकिन वह चाहती हैं कि सुषमा स्वराज का पुनर्जन्म पाकिस्तान में हो और वे यहां की राजनीति में शामिल हों। पाकिस्तान से गीता नामक एक मूक बधिर युवती को साल 2015 में भारत लाने के लिये सुषमा ने जो भादीरथ प्रयास किया था उसे कौन भूल सकता है। आज यही कारण है कि ऐसे कई चेहरे आज मायूस हो गये हैं।
राजनीति में कम ही लोग ऐसे हैं जिनका सम्मान अपने दल के साथ साथ विपक्षी खेमे में भी उतना ही होता है। सुषमा स्वराज उनमें एक थीँ। संसद में वे जब बोलने के लिये खड़ी होती थीं तो सामने वाले की बखिया बड़े ही प्यार से उड़ेड़ देती थीं और वह व्यक्ति उसके बाद भी उनका कायल होता था। उनके जैसे प्रखर वक्ता काफी कम ही राजनीति में देखने को मिलते हैं। हरियाणा में जन्मीं सुषमा ने देश के कई राज्यों से राजनीति की। हरियाणा में मंत्री बनने के बाद वे केंद्र में मंत्री बनीँ। दिल्ली की पहली मुख्य मंत्री बनने का भी उनको गौरव हासिल है। बाद में मध्य प्रदेश को उन्होंने अपनी राजनीति की कर्मस्थली बनाया। साल 2019 के लोक सभा चुनाव में स्वास्थ का हवाला देकर उन्होंने नहीं लडऩे का फैसला किया और उसके बाद बिना समय गंवाये उन्होंने अपने सरकारी बंगला खाली कर एक ऐसी मिशाल राजनीतिकों के सामने पेश की जो उन्हें प्रेरित करती रहेगी। आम तौर पर राजनीतिक लोग मंत्री पद जाने के बाद भी बंगला पर कब्जा जमाये रखते हैं और लतियाये जाने के बाद भी वहां से हटने को तैयार नहीं होते। सुषमा स्वराज ने एक आदर्श राजनीतिक के रुप में अपना सार्वजनिक जीवन जीया और यही कारण है कि आज सभी को वो रुला गयीं। देश विदेश से जितनी प्रतिक्रिया उनके निधन के बाद आ रही है, यह उनकी कार्यशैली को श्रद्धांजलि है।
लेखक हिन्दी दैनिक चमकता आईना के संपादक हैं