NCPCR का निर्देश बच्चों से जुड़े अधिक से अधिक मामलों को संज्ञान में लाया जाए
चाईबासा पुलिस बच्चों को लेकर सक्रिय – पुलिस अधीक्षका
संतोष वर्मा
चाईबासा। बुधवार को जिले के टाटा कॉलेज सभागार में उपायुक्त अरवा राजकमल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(NCPCR) की कार्याशाला का आयोजन किया गया। जिसमें प्रमुख रूप से उप विकास आयुक्त, आदित्य रंजन, प्रोजेक्ट डायरेक्टर आईटीडीए शशी भूषण, अपर उपायुक्त श्रीमती इंदु गुप्ता, एसडीपीओ सदर अमर पांडे, एसडीपीओ जगरनाथपुर प्रदीप उरांव सभी प्रखंड के बीडीओ और सीओ, सीडीपीओ तथा पुलिसकर्मी शामिल हुए।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(NCPCR) सृजित केंद्र सरकार की एक विधिक संस्था है। इस आयोग का मुख्य दायित्व यह सुनिश्चित कराना है कि बाल संविधान एवं अन्य नियम अधिनियमओं में यथा निर्दिष्ट अधिकारों का भली-भांति उपयोग कर रहे हैं या नहीं ,पश्चिम सिंहभूम जिले में बाल अधिकार के हनन से संबंधित शिकायतों को सुनने के लिए आयोग का आगमन 10 अगस्त 2019 को होने वाला है। कोई भी व्यक्ति यथा बच्चे, अभिभावक, बच्चों के संरक्षक अथवा व्यक्ति संस्था जो बाल अधिकार क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, अपनी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग के समक्ष रख सकते हैं।
पलामू ,गिरिडीह, हजारीबाग के बाद पहली बार राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग(NCPCR) का आगमन पश्चिम सिंहभूम जिला में होने जा रहा है। कार्यशाला में बताया गया कि वैसे बच्चे जिनके मां बाप नहीं है, वैसे बच्चे जो कूड़ा कचरा चुनते हैं, वैसे बच्चे जो स्कूल नहीं जा पाते हैं, तथा वैसे बच्चे से बिछड़ चुके हैं अपने मां बाप से तथा मानव तस्करी की शिकार हो चुके हैं। ऐसा कोई भी मामला का आवेदन उस दिन कार्यशाला में या उससे पहले आवेदन देकर उसका समाधान कराया जा सकता है। लगभग 30 से 40 प्रकार के मामलों का शिकायत (NCPCR) से किया जा सकता है।
उपायुक्त अरवा राजकमल ने बताया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग का कार्यशाला 10 अगस्त को चाईबासा में किया जाना सुनिश्चित किया गया है। इसके लिए जिन किसी को भी बच्चों से जुड़े मामलों का शिकायत दर्ज कराना है उसे पहले ही दर्ज करा ले ताकि उस पर विचार विमर्श करते हुए 10 अगस्त को उस पर कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके उन्होंने बताया कि जो शिकायतकर्ता अपना नाम गोपनीय रखना चाहते हैं। वह भी शिकायत कर सकते हैं। तथा इस पर कमीशन कार्य करेगी अधिक नंबर पर शिकायत पहले दर्ज करने पर उसपर कार्रवाई कर पाने में आसानी होगी। उन्होंने बताया कि फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत हमारे स्कूल तथा आंगनबाड़ी में बच्चों को दिए जा रहे भोजन पर नजर रखा जा रहा है । अगर बच्चों की परिस्थिति खराब है तो इसकी जिम्मेदारी हम सभी की है। उपायुक्त ने कहा कि ह्यूमन ट्रैफिकिंग, कुपोषण, शिक्षा की कमी पर हमें विशेष रुप से ध्यान देने की आवश्यकता है, तथा कई सुविधा मुहैया कराने की भी आवश्यकता है जैसे अस्पतालों में बच्चों का अच्छे से देखभाल करना, स्कूल में अच्छी शिक्षा मुहैया कराना, पीने का पानी तथा स्वच्छ भोजन की व्यवस्था कराना साथ ही उन्होंने अपील कि आयोजित होने वाले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की कार्याशाला में बच्चों से जुड़े मामलों को अधिक से अधिक संख्या में रखें ताकि उसका समाधान किया जा सके।
पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत महाथा ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे की जिम्मेदारी समाज की है।बच्चे की सुरक्षा, बच्चे का विकास, पालन-पोषण की जिम्मेदारी समाज को उठाना चाहिए। हम सबको एक टीम के रूप में काम करना चाहिए बच्चों की सुरक्षा को लेकर। उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कहा कि बच्चों से जुड़े मामलों कि अपराधियों की बेल की शर्तें कठोर करनी चाहिए।
18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों के गुम हो जाने पे 24 घंटे के भीतर उसकी गुमशुदगी का रिपोर्ट दर्ज करती हैं, पुलिस अधीक्षक महाथा ने कहा कि आज के दौर में सिर्फ गरीब बच्चे ट्रैफिकिंग का शिकार नहीं होते, बल्कि मॉडर्न युग यह इंटरनेट से जुड़े रहने वाले बच्चे में भी ट्रैफिकिंग का खतरा बना रहता है। इसीलिए इस पर बच्चों के अभिभावकों को विशेष रुप से नजर रखना चाहिए। जिले के हर गांव में बाल सुरक्षा समिति बनाया गया है जिसका काम है बच्चों की सुरक्षा पर नजर रखना उन्होंने कहा कि कोई भी बच्चा किसी भी कारणवश अगर गांव से बाहर जाता है तो बाल सुरक्षा समिति उस बच्चे का नाम पता एक रजिस्टर में अंकित करें।
एसडीपीओ सदर अमर कुमार पांडे जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि जहां गरीबी होती है वहां समस्याएं उत्पन्न होती है। उन्होंने ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जुड़े लगभग 5 साल के आंकड़े बताएं। श्री पांडे ने कहा कि बच्चों में नशा पान की समस्या सबसे बड़ी है। तथा ह्यूमन ट्रैफिकिंग कर बच्चों को बाहर ले जाया जाता है तथा उन्हें सेक्सुअल हरासमेंट, बालश्रम, मजदूरी इत्यादि काम कराए जाते हैं। साथ ही उन्होंने बाल मित्र थाना के बारे भी बताया कि बच्चों के लिए अलग थाना के व्यवस्था है। जहां का परिवेश बच्चों के अनुरूप बनाया गया है। और वहां पर पुलिस पदाधिकारी भी बिना वर्दी के बच्चों के समझ आते हैं, ताकि बच्चे डरे ना उन्होंने बताया कि पश्चिम सिंहभूम जिला से 32 बच्चों को ह्यूमन ट्रैफिकिंग कर लुधियाना ले जाया गया था। जिन्हें जिला प्रशासन की मदद से सुरक्षित चाईबासा लाया गया।