नई दिल्ली: लगातार पिछले कॉफी समय से मंदी की मार झेल रहे आटे सेक्टर के लिए केंद्र की मोदी सरकार ने राहत भरी खबर दी है, उसने इस सेक्टर को मंदी से उबारने के लिए रजिस्ट्रेशन फीस नहीं बढ़ाने का निर्णय लिया है. माना जा रहा है कि सरकार के इस निर्णय से मंदी की मार झेल रहे इस सेक्टर को काफी राहत मिल सकेगी.ऑटो सेक्टर में आ रही मंदी से इस सेक्टर को उभारने के लिए मोदी सरकार कई बड़े प्रयास कर रही है. इसी के मद्देनजऱ सरकार ने दो बड़े फैसले लिए हैं.सरकार ने गाडिय़ों की खरीद पर रजिस्ट्रेशन फीस बढ़ाने का फैसला अभी के लिए टाल दिया है. साथ ही सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए कोई टाइम लाइन शुरू करने के फैसले को अभी ठंडे बस्ते में डाल दिया है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार के इन दोनों फैसलों से ऑटों कंपनियों को बड़ी राहत मिलेगी. आपको बता दें कि ऑटो सेल्स की थोक बिक्री में करीब 30 फीसदी की गिरावट आई है. यह पिछले 18 साल की सबसे ज्यादा गिरावट है.
मार्च 2020 तक नहीं होगी रजिस्ट्रेशन शुल्क में बढ़ोतरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अगले 3-4 महीनों तक सरकार रजिस्ट्रेशन फीस में बढ़ोतरी नहीं करेगी. आपको बता दें कि सरकार ने ई-व्हीकल्स को बढ़ावा देने के लिए पेट्रोल और डीजल की गाडिय़ों पर रजिस्ट्रेशन फीस 10 से 20 गुना बढ़ाने का प्रस्ताव दिया था.वन टाइम रजिस्ट्रेशन चार्जेज़ में की गई बढ़ोतरी मार्च 2020 तक टाली जा सकती है. पेट्रोल डीजल वाली नई कारों की रजिस्ट्रेशन फीस 600 से बढ़ाकर 5000 रुपये करने का प्रस्ताव था. पेट्रोल डीज़ल वाली पुरानी कारों के रजिस्ट्रेशन रिन्यूवल चार्ज बढ़ाकर 15000 रुपये करने का प्रस्ताव था.
तीन महीने में करीब दो लाख लोगों की नौकरी गई
सरकार के इन प्रस्तावों पर ऑटो इंडस्ट्री ने अपना ऐतराज दर्ज कराया था. क्योंकि इन प्रस्तावों का असर ऑटो सेक्टर की सेल्स पर भी पड़ा था. गौरतलब है कि कारों की बिक्री में लगातार जारी गिरावट से ऑटो सेक्टर की हालत ढीली होती जा रही है और इसके साथ ही छंटनी का दौर शुरू हो चुका है. पिछले तीन महीने में ऑटो इंडस्ट्री से करीब दो लाख लोगों को नौकरियों से निकाला जा चुका है.