नई दिल्ली: एक अमेरिकी अदालत ने भारतीयों को वीजा पॉलिसी में फौरी राहत देने का आदेश दिया है. यह आदेश यूनाइटेड स्टेट्स सिटीज़नशिप और इमिग्रेशन सर्विसेज (USCIS) को वह प्रतिकूल नीति लागू करने से रोकता है जिसके तहत अंतर्राष्ट्रीय छात्रों (उनके डिपेन्डेन्ट्स जैसे पति/पत्नी और बच्चे भी) के वहां रहने को गैरकानूनी उपस्थिति करार दिया जाता है. कोर्ट द्वारा उठाया गया यह कदम इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ‘गैरकानूनी उपस्थिति’ जैसा कानून एक निश्चित अवधि के लिए अमेरिका में एंट्री करने से रोक सकता है. अमेरिका में पढ़ाई कर रहे 2 लाख भारतीय छात्रों के लिए यह एक अच्छी खबर है. अमेरिका से जाने से पहले जो भी व्यक्ति वहां 180 दिन से ज्यादा समय तक गैरकानूनी तरीके से रहा हो, तो उसे अगले 3 साल तक दोबारा अमेरिका में जाने से रोका जा सकता है. इसके अलावा अमेरिका में 1 साल से ज्यादा समय तक गैरकानूनी तौर पर रहे व्यक्ति को 10 साल तक के लिए वहां आने से रोका जा सकता है. यह आदेश 3 मई को उस याचिका के जवाब में आया है, जिसे गिलफोर्ड कॉलेज, द न्यू स्कूल और कई दूसरों कॉलेजों ने दायर किया था. 26 अक्टूबर को हमने इस बारे में जानकारी दी थी. इस केस के फाइल होने के तुरंत बाद ही मेयर ब्राउन में पार्टनर और केस के सह-परामर्शदाता पॉल ह्यू ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया था कि इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय छात्रों के अधिकारों को सुरक्षित करना है. उन्होंने कहा था, ‘नई USCIS पॉलिसी ने दो दशक से भी ज्यादा से चली आ रही इमिग्रेशन की प्रक्रिया को खराब किया है, जो गैरकानूनी है.’
यह मामला USCIS की उस नीति (जिसे फिलहाल कोर्ट ने लागू होने से रोक दिया है) से जुड़ा है, जो 9 अगस्त 2018 को लागू हुई. इसके तहत वीजा अवधि या डिग्री पूरा होते ही विदेशी छात्र अगर अमेरिका में रहते हैं तो उसे ‘गैरकानूनी उपस्थिति’ करार दिया जाएगा. इससे पहले के नियमों के मुताबिक, वीजा अवधि खत्म होने पर भी छात्र 6 महीने तक अमेरिका में रह सकते थे. मौजूदा नियमों के तहत वीजा अवधि समाप्त होने पर भी छात्र छह महीने तक अमेरिका में रह सकते हैं.